• 1. 
    लेखक यह क्यों सोचता है कि उस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी

  • प्रेमचंद को किसी तरह का शौक नहीं था
  • वह फटे पुराने वस्त्र पहनने में अपनी शान समझते थे
  • वह एक साहित्यकार घे
  • उनकी कथनी और करनी एक समान धी
  • 2. 
    'प्रेमचंद के फटे जूते गय की किस विधा की रचना

  • डायरी विधा
  • निबंध
  • व्यंग्य विधा
  • संस्मरण
  • 3. 
    'कोई चीज जो परम-पर-परम सदियों से जम गई है, उससे शायद तुमने ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाड़ लिया।' इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

  • प्रेमचंद जी ने अपने साहित्य के माध्यम से समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने का बीड़ा उठाया है
  • प्रेमचंद जी जूते की ठोकर से पुरानी जमी हुई। चीजों को उखाड़ना चाहते थे
  • प्रेमचंद जी को रूढ़ियों से टकराने में आनंद आता था
  • इनमें से काई नहीं
  • 4. 
    'टीलों से समझौता भी हो जाता है। यहाँ टीलों का क्या अर्थ है?

  • टीलों का अर्थ बड़ी-बड़ी चट्टानें हैं
  • टोला पठार की तरह ऊँची भूमि को कहते हैं
  • यहाँ टोलों का अर्थ उन रूढ़ियों से है जिनके कारण हमारा समाज आज भी अंधकारग्रस्त है
  • इनमें से कोई नहीं
  • 5. 
    सख्त चीज से ठोकर मारने का क्या आशय है?

  • पत्थरों को ठोकर मारना
  • मजबूत आदमी से टकराना
  • अनुशासनप्रिय व्यक्ति से टकराना
  • शोषण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करना
  • 6. 
    यहाँ नदी की क्या विशेषता बताई गई है?

  • नदी सबको स्वष्छ जल देती है
  • नदी शीतलता प्रदान करती है
  • नदी के मार्ग में यदि कोई अवरोध हो तो वह रास्ता बदल लेती है
  • नदी हमारे खेतों को हरा-भरा बनाती है
  • 7. 
    इस गद्यांश को जिस पाठ से लिया गया है, उसके लेखक का नाम बताइए।

  • हरिशंकर परसाई
  • मुंशी प्रेमचंद
  • डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी
  • जाविर हुसैन
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